5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HINDI KAHANI STORY

5 Simple Techniques For hindi kahani story

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पश्चात् भारतेन्दु की एक अद्भुत अपूर्व स्वप्न' तथा राधाचरण गोस्वामी की 'यमलोक की यात्रा' प्रकाश में आयी लेकिन विद्वानों ने इनमें भी

शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा : पंचतंत्र की कहानी

चंदनपुर राज्य की समृद्धि चारों ओर खुशबू की तरह फैल कर पड़ोसी राज्यों को ईर्ष्या की आग में झोंक रही थी। चंदनपुर में चंदन के विशाल जंगल थे। जिसके कारण इसका नाम चंदनपुर था इसके अलावा यहां हीरे की खानें ...

यात्रा में साठ के बाद की कहानी में अनके आन्दोलन चलाये गए, जिनमें ‘सामन्तर कहानी', 'सचेतन कहानी', ‘अकहानी आदि

सामान्य मध्यमवर्ती मोहल्लों से है। इनकी अनेक कहानियाँ मानवीय संवदनाओं की

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं निज़ाम शाह

है', मनहर चौहान की 'घर धुसरा', रामकुमार भ्रमर

(एक) जब तक गाड़ी नहीं चली थी, बलराज जैसे नशे में था। यह शोर-गुल से भरी दुनिया उसे एक निरर्थक तमाशे के समान जान पड़ती थी। प्रकृति उस दिन उग्र रूप धारण किए हुए थी। लाहौर का स्टेशन। रात के साढ़े नौ बजे। कराची एक्सप्रेस जिस प्लेटफ़ार्म पर खड़ी थी, वहाँ चन्द्रगुप्त विद्यालंकार

चार ब्राह्मण और शेर : पंचतंत्र की कहानी

महान कहानी कार प्रेमचन्द को केन्द्र में रखकर चर्चा करनी होगी।

दिशा प्रदान की उनमें श्री विश्वम्भर नाथ शर्मा, 'कौशिक', आचार्य चतुर राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह, श्री शिव पूजन

साहित्य के प्रेमचन्द स्कूल के वृहद्व्रयी कहलाते हैं- (हिन्दी साहित्य का सुबोध

मैं अमीर नहीं हूँ। बहुत कुछ समझदार भी नहीं हूँ। पर मैं परले दरजे का माँसाहारी हूँ। मैं रोज़ जंगल को जाता हूँ और एक-आध हिरन को मार लाता हूँ। यही मेरा रोज़मर्रा का काम है। मेरे घर में रुपये-पैसे की कमी नहीं। मुझे कोई फ़िकर भी नहीं। इसी सबब से हर रोज़ मैं निज़ाम शाह

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